पित्र दोष निवारण के कुछ खास उपाय ::-
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1. याद रखे घर के सभी बड़े बुजर्ग को हमेशा प्रेम, सम्मान, और पूर्ण अधिकार दिया जाय , घर के महत्वपूर्ण मसलों पर उनसे सलाह मशविरा करते हुए उनकी राय का भी पूर्ण आदर किया जाय ,प्रतिदिन उनका अभिवादन करते हुए उनका आशीर्वाद लेने, उन्हे पूर्ण रूप से प्रसन्न एवं संतुष्ट रखने से भी निश्चित रूप से पित्र दोष में लाभ मिलता है ।
2.अपने ज्ञात अज्ञात पूर्वजो के प्रति ईश्वर उपासना के बाद उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखने उनसे अपनी जाने अनजाने में की गयी भूलों की क्षमा माँगने से भी पित्र प्रसन्न होते है ।
3. सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बना, पितरों को अर्पित करने से भी इस दोष में कमी होती है ।
4. सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ पर मीठा जल मिष्ठान एवं जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुए कम से कम सात या 108 परिक्रमा करे तत्पश्चात् अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है।
5.प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी खिलाने चाहिए।
6. अमावस्या को बबूल के पेड़ पर संध्या के समय भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है।
7. प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से पितृ दोष कम होता है ।
8. पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन शिव लिंग पर जल चढ़ाकर महामृत्यूंजय का जाप करना चाहिए ।
9. माँ काली की नियमित उपासना से भी पितृ दोष में लाभ मिलता है।
10. आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हो घर में भोजन बनने पर सर्वप्रथम पित्तरों के नाम की खाने की थाली निकालकर गाय को खिलाने से उस घर पर पित्तरों का सदैव आशीर्वाद रहता है घर के मुखियां को भी चाहिए कि वह भी अपनी थाली से पहला ग्रास पित्तरों को नमन करते हुये कौओं के लिये अलग निकालकर उसे खिला दे।
11. पितरों के निमित घर में दीपक, अगरबत्ती को प्रात:काल पूजा के समय ऊँ पितृय नम: कम से कम 21 बार उच्चारण करें।
12. पशु-पक्षियों को खाना खिलायें।
13. श्री मद भागवत गीता का ग्यारहवां अध्याय का पाठ करें।
14.पित्र पक्ष अथवा अमावस्या के दिन पितरों को ध्यान करके सामर्थ्यनुसार ब्राह्मण पूजन के बाद गरीबों को दान करने से पितर खुश होते हैं। ब्राह्मण के माध्यम से पितृपक्ष में दिये हुऐ दान-पुण्य का फल दिवंगत पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार आज के दिन पिंडदान, तिलांजली और ब्राह्मणों को पूर्ण श्रद्धा से भोजन कराने से जीवन में सभी सांसारिक सुख और भोग प्राप्त होता है।
15. हिन्दु मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद भी स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इसके लिए प्रसनचित होकर हव्य से देवताओं का, कव्य से पितृगणों का तथा अन्न द्वारा बंधुओं का भंडारा करें। इससे परिवार एवं सगे-सम्बन्धियों, मित्रों को भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके फलस्वरूप परिवार में अशान्ति, वंश वृद्घि में रुकावट, आकस्मिक बीमारी, धन से बरकत न होना, सभी भौतिक सुखों के होते हुए भी मन असंतुष्ट रहना आदि परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।
16. शनिवार के दिन पीपल की जड़ में गंगा जल, कला तिल चढाये । पीपल और बरगद के वृ्क्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है ।
17. याद रखिए पूर्वजो के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने उन्हे पूर्ण रूप से संतुष्ट करने उनको प्रसन्न रखने वाले व्यक्ति पर हमेशा दैवी कृपा बनी रहती है….उसके कार्यों में कोई भी अवरोध नही होता है ..उसकी सर्वत्र जयजयकार होती है ।
18. “ओम् नमो भगवते वासुदेवाय” की एक माला का नित्य जाप करें ।
19. जब भी किसी तीर्थ पर जाएं तो अपने पितरों के लिए तीन बार अंजलि में जल से उनका तर्पण अवश्य ही करें ।
20. पितृपक्ष मे अपने पितरों की याद मे वृक्ष, विशेषकर पीपल लगाकर, उसकी पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने से भी पितृदोष समाप्त होता है ।
Some special measures of pitra dosh prevention ::-*******************************1. Remember, all the elders of the house should always be given love, respect, and full rights, and their opinion should be given full respect to their opinion on the important issues of the house, greet them every day and take their blessings, Even if they are completely pleased and satisfied, they definitely get benefit from the defect.2. in order to be grateful to his known unknown ancestors, he is pleased with the forgiveness of his unknown mistakes.3. Holy Amavasya is made of milk kheer, offering to fathers is also lacking in this defect.4. on the occasion of Holy Amavasya, if a person offering sweet water on the tree of peepal tree and offering water to the tree, chanting “om namo bhagavathe vāsudēvā’ēṁ namah” at least seven or 108 parikrama, after all of their crimes and errors. If you ask for forgiveness, all the problems arising from the father’s defect are troubleshooting.5. Each new moon should also feed the cow five fruits.6. on the occasion of the new moon, on the tree of Acacia, the food is also pleased with the food of7. The Father’s defect is less than offering food and dakshina clothes to a brahmin on every new moon.8. The person suffering from the father’s defect should chant the mahamrityunjaya by offering water on shiva linga everyday.9. The regular worship of mother kali also benefits in father’s defect.10. If you believe in any religion, it is first to be a food in the house and first of all the people who eat the food of the name of the food and feed the cow, the parents are always blessed with the house of the house, even the head of the First of all the grass, bow down to the devotees and feed them.For 11. Fathers, please pronounce lamp, incense in the house at the time of worship of om pitr̥ya namah: at least 21 times.12. Feed the animal birds.13. Read the chapter chapter of shri mada bhagwat gita.14. On the day of pitru paksha or on the day of new moon, they are happy to donate to the poor after the brahmin worship. The Fruit of the charity given in the pitr̥pakṣa through the brahmin is done for the peace of the soul of the departed fathers. According to brahmavaivart purana, this day, with full devotion to gaya, tilān̄jalī and Brahmins, all the worldly happiness and bhog are achieved in life.15. According to Hindu recognition, there is a realization of paradise even after death. Be famous for this, to serve the gods with the food of the Lord, the kavya of the pitr̥gaṇōṁ and the food of the This also brings special fruit to family and relatives, friends. As a result of this, the family can get rid of the problems of the family, the obstacles in the family, the sudden illness, the money, and the problems of all physical pleasures.16. On Saturday, Ganga water in the root of the peepal, the art of the mole. Worshiping the tree of peepal and banyan is the peace of Father’s fault.17. Remember that the person who is happy to satisfy his duties to the ancestors is always a divine grace. There is no constraint in his actions.. There is a shout of joy everywhere. Is.18. Chant a rosary of “om namo bhagavathe vāsudēvāya”19. Whenever you go to a pilgrimage, do it with water in anjali three times for your fathers.In 20., in the memory of his ancestors, the tree ends with the tree, especially the people, and serving with full devotion.
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