ल्यूकोरिया महिलाओं के लिए sweet poison है
अगर किसी महिला को लगातार सफ़ेद या पीला स्राव होने के साथ-साथ बाथरूम जाते वक्त परेशानी होती हो, बदबूदार पानी निकलता हो, खुजली ओर दर्द भी होता हो, तथा साथ ही बहुत कमजोरी लगती हो, संबंध बनाते वक्त दर्द होता हो और किसी को यह बात बताने में शर्म आती हो, तब यह प्रदर रोग हो सकता है जो कि ट्राइकोमोनास के संक्रमण से होता है।
महिलाओं में प्रजनन अंगों, गर्भाशय व गर्भनली का योनी के माध्यम से सीधा संबंध होता है. बाहर से खुला होने के कारण इसमें किसी भी तरह का संक्रमण होना आसान हो जाता है। कई बार महिलाओं में यह संक्रमण संसर्ग से या प्रसव, मासिक धर्म व गर्भपात के समय या बाद में भी किसी भी कारण से हो सकता है।
अशिक्षा, गरीबी, शर्म आदि कारणों से भी अकसर महिलाएं प्रजनन अंगों के रोगों का उपचार कराने में शर्म महसूस करती हैं। इससे रोग बढ़ता जाता है, जिसके फलस्वरूप उन्हें रक्त की कमी, मंद ज्वर, हाथ-पैरों में दर्द बना रहना, चिड़चिड़ाहट, मन न लगना आदि कई परेशानियाँ हो सकती हैं। आगे चलकर इस प्रजनन अंगों के संक्रमण से गर्भपात और कुछ अन्य खतरनाक रोग भी हो सकते हैं।
ल्यूकोरिया का घरेलू उपचार
एक ज्यादा पका केला पूरे एक चम्मच देशी घी के साथ खाएं। १५ दिन में फ़र्क नजर आएगा। एक महीना प्रयोग करें।
आंवला बीज का पावडर बनालें एक चम्मच पावडर शहद और सौंफ के साथ प्रातःकाल लें।
गिलोय+ सतावर को मिलाकर पाउडर बना ले फिर उसका काढ़ा बनाए और रोज सुबह -शाम 1/2 कप ले लाभ होगा
पाँव भर दूध में इतना ही पानी तथा एक चम्मच सुखा अदरक डालकर उबालें जब आधा रह जाय तो इसमें एक चम्मच शहद घोलकर पीयें बहुत गुणकारी है।
आयुर्वेदिक औषधि अशोकारिष्ट इस रोग में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होती है प्रदरान्तक चूर्ण का भी व्यवहार किया जाता है ।
भोजन में दही और लहसुन का प्रचुर प्रयोग लाभकारी होता है बाहरी प्रयोग के लिए लहसुन की एक कली को बारीक कपडे में लपेटकर रात को योनी के अंदर रखें , यह कीटाणु नाशक है ,इसी प्रकार दही को योनी के भीतर बाहर लगाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
10g ग्राम मेथी बीज पाव भर पानी में उबालें आधा रह जाने पर गरम गरम दिन में २ बार पीना लाभकारी है।
छाछ 3-4 गिलास रोज पीना चाहिए इससे योनी में बेक्टीरिया और फंगस का सही संतुलन बना रहता है
गुप्त अंग को निम्बू मिले पानी से धोना भी एक अच्छा उपाय है फिटकरी का पावडर पानी में पेस्ट बनाकर योनी पर लगाने से खुजली और रक्तिमा में फायदा होता है। फ़िटकरी श्रेष्ठ जीवाणुनाशक है और सरलता से मिल जाती है। यौनि की भली प्रकार साफ़ सफ़ाई रखना बेहद जरूरी है। फ़िटकरी के जल से यौनि धोना अच्छा उपाय है।
मांस मछली,मसालेदार पदार्थों का परहेज करें
भोजन में हरे पत्तेदार सब्जीयाँ और फल अधिक से अधिक शामिल करें।
माजूफ़ल चूर्ण 50g ग्राम तथा टंकण क्षार 25g ग्राम लेकर भली प्रकार मिलाकर इसकी 50 पुडी बनालें सुबह -शाम एक पुडी शहद के साथ चाटने से श्वेत प्रदर रोग नष्ट हो जाता है।
अशोकारिष्ट दवा ४-४ चम्मच बराबर पानी मिलाकर खाने के बाद दोनों समय लेना हितकारी उपाय है।
सुपारी पाक एक चम्मच सुबह -शाम दूध के साथ लेने से श्वेत प्रदर रोग नष्ट होता है।
गोंद को देसी घी में तलकर फ़िर शकर की चाशनी में डालकर खाने से श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
शिलाजीत में असंख्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते है। नियमित एक माह तक दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
सिंघाडे के आटे का हलुवा श्वेत प्रदर में लाभकारी होता है।
त्रिबंग भष्म 1-1 रत्ती सुबह शाम पानी के साथ लेने पर श्वेत प्रदर मे लाभ होता है त्रिबंग भष्म आप को रामदेव जी की दुकानों मे मिल जाएगी ॥
बड़ के पत्तों का दूध ,,मिश्री के साथ ले फिर ऊपर से गाय का दूध पीने से लाभ होता है
सूखे सिंघाड़े रात को पनि मे भिगो दे ॥ सुबह उन्हे पीसकर उसमे मिश्री मिलाये और गाय के दूध के साथ खाली पेट सेवन करे,
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