*तिथी*
*प्रतिपदा तिथि* में अग्निदेव की पूजा करके अमृतरूपी घृत का हवन करे तो उस हवि से समस्त धान्य और अपरिमित धन की प्राप्ति होती है।
*द्वितीया तिथि* को ब्रह्मा की पूजा करके ब्रह्मचारी ब्राह्मण को भोजन कराने से मनुष्य सभी विद्याओं में पारंगत हो जाता है।
*तृतीया तिथि* में धन के स्वामी कुबेर का पूजन करने से मनुष्य निश्चित ही विपुल धनवान बन जाता है तथा क्रय-विक्रयादि व्यापारिक व्यवहार में उसे अत्यधिक लाभ होता है।
*चतुर्थी तिथि* में भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। इससे सभी विघ्नों का नाश हो जाता है।
*पंचमी तिथि* में नागों की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्त होते हैं और श्रेष्ठ लक्ष्मी भी प्राप्त होती है।
*षष्ठी तिथि* में कार्तिकेय की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपसंपन्न, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ानेवाला हो जाता है।
*सप्तमी तिथि* को चित्रभानु नामवाले भगवान सूर्यनारायण का पूजन करना चाहिए, ये सबके स्वामी एवं रक्षक हैं।
*अष्टमी तिथि* को वृषभ से सुशोभित भगवान सदाशिव की पूजा करनी चाहिए, वे प्रचुर ज्ञान तथा अत्यधिक कांति प्रदान करते हैं। भगवान शंकर मृत्युहरण करनेवाले, ज्ञान देने वाले और बंधनमुक्त करने वाले हैं।
*नवमी तिथि* में दुर्गा की पूजा करके मनुष्य इच्छापूर्वक संसार-सागर को पार कर लेता है तथा संग्राम और लोकव्यवहार में वह सदा विजय प्राप्त करता है।
*दशमी तिथि* को यह की पूजा करनी चाहिए, वे निश्चित ही सभी रोगों को नष्ट करने वाले और नरक तथा मृत्यु से मानव का उद्धार करने वाले हैं।
*एकादशी तिथि* को विश्वेदेवों की भली प्रकार से पूजा करनी चाहिए। वे भक्त को संतान, धन-धान्य और पृथ्वी प्रदान करते हैं। *द्वादशी तिथि* को भगवान विष्णु की पूजा करके मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में वैसे ही पूज्य हो जाता है, जैसे किरणमालौ भगवान सूर्य पूज्य हैं।
*त्रयोदशी तिथि* में कामदेव की पूजा करने से मनुष्य उत्तम भार्या प्राप्त करता है तथा उसकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
*चतुर्दशी तिथि* में भगवान देवदेवेश्वर सदाशिव की पूजा करके मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों से समन्वित हो जाता है तथा बहुत से पुत्रों एवं प्रभूत धन से संपन्न हो जाता है।
*पूर्णमासी तिथि* में जो भक्तिमान मनुष्य चंद्रमा की पूजा करता है, उसका संपूर्ण संसार पर अपना आधिपत्य हो जाता है और वह कभी नष्ट नहीं होता।
अपने दिन में अर्थात्
*अमावास्या* में पितृगण पूजित होने पर सदैव प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धन-रक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते हैं। उपवास के बिना भी ये पितृगण उक्त फल को देनेवाले होते हैं। अत: मानव को चाहिए कि पितरों को भक्तिपूर्वक पूजा के द्वारा सदा प्रसन्न रखे। मूलमंत्र, नाम-संकीर्तन और अंश मंत्रों से कमल के मध्य में स्थित तिथियों के स्वामी देवताओं की विविध उपचारों से भक्तिपूर्वक यथाविधि पूजा करनी चाहिए तथा जप-होमादि कार्य संपन्न करने चाहिए। इसके प्रभाव से मानव इस लोक में और परलोक में सदा सुखी रहता है। उन-उन देवों के लोकों को प्राप्त करता है और मनुष्य उस देवता के अनुरूप हो जाता है। उसके सारे अरिष्ट नष्ट हो जाते हैं तथा वह उत्तम रूपवान, धार्मिक, शत्रुओं का नाश करनेवाला राजा होता है।
* DATE *On the occasion of pratipada tithi, if you worship this, then you will get all the grain and infinite wealth.On the * DWITIYA DATE * by worshiping Brahma, the food of a Brahmin Brahmin becomes a part of all the students.The worship of Lord kuber, the Lord of wealth in the tritiya date, becomes a rich wealthy, and he has highly benefited in purchasing business behavior.* CHATURTHI DATE * should worship Lord Ganesha. This destroys all the problems.The worship of serpents in the * PANCHAMI DATE * does not fear the poison, the women and the sons are received and the best lakshmi is also received.The worship of kartikeya in the * SHASHTHI DATE * becomes the best meritorious, rūpasampanna, longevity and fame.* SAPTAMI DATE * should be worshiped by the lord suryanarayan, the Lord of the citrabhānu, he is the owner and protector of all* ASHTAMI TITHI * should worship Lord sadashiv adorned with Taurus, he gives abundant knowledge and highly kanti. Lord Shankar is the Redeemer, the knower and the free.By worshiping durga in * NAVAMI DATE * man crosses the world and the ocean and he always wins in the struggle and the struggle.* DASHAMI TITHI * should be worshipped, they are definitely the ones who destroy all diseases and save human from hell and death.* EKADASHI TITHI * should be worshipped properly. They give children, wealth and earth to the devotee. By worshiping lord vishnu on * DWADASHI DATE * man is always victorious in the whole world, like the Lord of the sun, the Lord of the sun.The worship of cupid in the * TRAYODASHI DATE * gives a great good luck and all his wishes are fulfilled.In the * CHATURDASHI DATE *, by worshiping Lord occasion sadashiv, man is coordinated with all the gods and is rich with many sons and wealth.In the * MOON DATE * the man who worships the moon, he gets his own control over the whole world and he never gets destroyed.In my day that meansOn the occasion of birth anniversary in * AMĀVĀSYĀ *, it is always pleased to give birth, wealth, age and strength. Even without fasting these pitr̥gaṇa are given to the fruits. So the human should always be happy with the worship of God. The Mantras, names and mantras of the dates in the middle of the lotus, should worship the various treatments of the Gods, and perform the chanting-Hōmādi work. By the effect of this human is always happy in this world and in the hereafter. He receives the worlds of those gods and man becomes compliant to that God. All his adversaries are destroyed, and he is the best, the righteous, the destroyer of the enemies.
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