नवरात्र में कन्या पूजन का बडा महत्व है । लेकिन हम मे से बहुत कम लोगो को ही कन्या पूजन से जुड़ी विशेष बाते पता होगी जैसे की कन्या पूजन विधि क्यों करते हैं ? कन्या पूजन विधि का लाभ और महत्व क्या हैं ? कन्या पूजन विधि के दौरान क्या सावधानियॉ रखने की खास आवश्यकता होती हैं और सबसे मत्वपूर्ण चीज की कन्या पूजन की विधि क्या हैं ? आइये इन सारी बातो को एक-एक करके विश्तार पूर्वक जाने-*
*ऐसी मान्यता है कि जप और दान से देवी इतनी खुश नहीं होतीं, जितनी कन्या पूजन से । शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।*
*देवी पुराण के अनुसार, इन्द्र ने जब ब्रह्मा जी से भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कन्या पूजन ही बताया और कहा कि माता दुर्गा जप, ध्यान, पूजन और हवन से भी उतनी प्रसन्न नहीं होती जितना सिर्फ कन्या पूजन से हो जाती हैं |*
*दूसरी मान्यता है कि माता के भक्त पंडित श्रीधर के कोई संतान नहीं थी। उन्होंने नवरात्र के बाद नौ कन्याओं को पूजन के लिए घर पर बुलवाया। मां दुर्गा उन्हीं कन्याओं के बीच बालरूप धारण कर बैठ गई। बालरूप में आईं मां श्रीधर से बोलीं सभी को भंडारे का निमंत्रण दे दो। श्रीधर से बालरूप कन्या की बात मानकर आसपास के गांवों में भंडारे का निमंत्रण दे दिया। इसके बाद उन्हें संतान सुख मिला।*
*नवरात्रि में सामान्यतः तीन प्रकार से कन्या पूजन का विधान शास्त्रोक्त है –*
*1)प्रथम प्रकार- प्रतिदिन एक कन्या का पूजन अर्थात नौ दिनों में नौ कन्याओं का पूजन – इस पूजन को करने से कल्याण और सौभाग्य प्राप्ति होती है |*
*2)दूसरा प्रकार- प्रतिदिन दिवस के अनुसार संख्या अर्थात प्रथम दिन एक, द्वितीय दिन दो, तृतीया – तीन नवमी – नौ कन्या (बढ़ते क्रम में ) अर्थात नौ दिनों में 45 कन्याओ का पूजन – इस प्रकार से पूजन करने पर सुख, सुविधा और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है |*
*3) तीसरा प्रकार – नौ कन्या का नौ दिनों तक पूजन अर्थात नौ दिनों में नौ X नौ = 81 कन्याओं का पूजन– इस प्रकार से पूजन करने पर पद, प्रतिष्ठा और भूमि की प्राप्ति होती है |*
*कन्याओ की उम्र व अवस्था ?शास्त्रों के अनुसार कन्या की अवस्था…*
*एक वर्ष की कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए*
*दो वर्ष – कुमारी – दुःख-दरिद्रता और शत्रु नाश*
*तीन वर्ष – त्रिमूर्ति – धर्म-काम की प्राप्ति, आयु वृद्धि*
*चार वर्ष– कल्याणी – धन-धान्य और सुखों की वृद्धि*
*पांच वर्ष – रोहिणी – आरोग्यता-सम्मान प्राप्ति*
*छह वर्ष – कालिका – विद्या व प्रतियोगिता में सफलता*
*सात वर्ष – चण्डिका – मुकदमा और शत्रु पर विजय*
*आठ वर्ष – शाम्भवी – राज्य व राजकीय सुख प्राप्ति*
*नौ वर्ष – दुर्गा – शत्रुओं पर विजय, दुर्भाग्य नाश*
*दस वर्ष – सुभद्रा – सौभाग्य व मनोकामना पूर्ति*
*किस दिन करें वैसे तो प्रायः लोग सप्तमी से कन्या पूजन शुरू कर देते हैं लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं वह तिथि के अनुसार अथवा नवमी और दशमी को कन्या पूजन करते हैं । शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है.*
*सर्वप्रथम व्यक्ति को प्रातः स्नान करना चाहिए। उसके पश्चात् कन्याओं के लिए भोजन अर्थात पूरी, हलवा, खीर, चने आदि को तैयार कर लेना चाहिए । कन्याओं के पूजन के साथ बटुक पूजन का भी महत्त्व है, दो बालकों को भी साथ में पूजना चाहिए एक गणेश जी के निमित्य और दूसरे बटुक भैरो के निमित्य कहीं कहीं पर तीन बटुकों का भी पूजन लोग करते हैं और तीसरा स्वरुप हनुमान जी का मानते हैं | एक-दो-तीन कितने भी बटुक पूजें पर कन्या पूजन बिना बटुक पूजन के अधूरी होती है |*
*कन्याओं को माता का स्वरुप समझ कर पूरी भक्ति-भाव से कन्याओं के हाथ पैर धुला कर उनको साफ़ सुथरे स्थान पर बैठाएं | ऊँ कुमार्यै नम: मंत्र से कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें । सभी कन्याओं के मस्तक पर तिलक लगाएं, लाल पुष्प चढ़ाएं, माला पहनाएं, चुनरी अर्पित करें तत्पश्चात भोजन करवाएं | भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें।*
*भोजन के बाद कन्याओं के विधिवत कुंकुम से तिलक करें तथा दक्षिणा देकर हाथ में पुष्प लेकर यह प्रार्थना करें-*
*मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।*
*नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।*
*जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।*
*पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।*
*तब वह पुष्प कुमारी के चरणों में अर्पण कर उन्हें ससम्मान विदा करें।*
*नवरात्रि में कन्या पूजन विधि में सावधानियॉ ? कन्याओ की आयु दो वर्ष से कम न हो और दस वर्ष से ज्यादा भी न हो।*
*एक वर्ष या उससे छोटी कन्याओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। कन्या पूजन में ध्यान रखें कि कोई कन्या हीनांगी, अधिकांगी, अंधी, काणी, कूबड़ी, रोगी अथवा दुष्ट स्वाभाव की नहीं होनी चाहिए |एक-दो-तीन कितने भी बटुक पूजें पर कन्या पूजन बिना बटुक पूजन के न करे ।*
Kanya Pujan during the *नवरात्र festival *—————————————-* kanya pujan is very important in navratri. But very few of us will know the special things related to kanya pujan, as why do the girls worship. What are the benefits and importance of Virgo worship method? During the virgo worship method, what is the special need to keep sāvadhāniyŏ and what is the method of worshiping the most important thing? Come and let all these things go one by one.It is believed that the goddess is not so happy with chanting and donation, as much as the girl worship. According to the scriptures, the worship of a girl is opulence, the worship of two and the salvation, the worship of three, the religion, meaning and work, the worship of four, the worship of the five, the worship of five, six types of siddhi The worship of seven, the worship of eight, the worship of eight and the worship of nine is achieved by the dominance of the earth. *According to *देवी purana, when indra asked brahma ji to appease bhagwati durga, he told the girl worship as the best method and said that mother durga is not as happy with chanting, meditation, worship and havan as much as it is. Girls are done by worship | *It is believed that there was no child of mother’s devotee pandit sridhar. He called nine girls at home for worship after navratri. Mother Durga Sat down in the middle of those girls. The Mother who came to the bālarūpa, said to sridhar, give everyone the invitation of bhandara. After listening to the girl from Sridhar, she gave the invitation of bhandara in the surrounding villages. After this they got children happiness. *In *नवरात्रि, there are three types of female worship in the form of legislative. –** 1) the worship of one girl every day, the worship of nine girls in nine days – this worship brings wellness and good luck | ** 2) second type-daily day according to the number means the first day two, second day two, tritiya – three navami – nine Virgo (in growing order) means worship of 45 units in nine days – this is how to worship But happiness, convenience and opulence are achieved | ** 3) third type – the worship for nine days of nine Virgo means nine x nine = 81 girls in nine days-this is how to worship the post, reputation and land. | ** age and state of the girls? According to the scriptures, the condition of the girl…*एक should not worship the girl of the year *Years – kumari – sadness and enemy perish **तीन year – trimurti – religion-work gain, age increase **चार Year-Kalyani – wealth of wealth and pleasures *Th year – rohini – ārōgyatā-respect acquisition **छह year – kalika – success in vidya and competition **सात year – caṇḍikā – sue and victory over the enemy **आठ year – shambhavi – state and state happiness achieve **नौ year – durga – victory over enemies, misfortune destroyed **दस year – subhadra – good luck and wishes fulfilled **किस do the day, so often people start worshiping or worship with the envisaging Tami but those who fast for the whole nine days, do it as per the date or worship or worship navami and dashami. According to śās do, the day of durga tummy is considered to be the most important and auspicious of the day of durgāṣ.The *सर्वप्रथम person should take a bath in the morning. After that, there should be food for girls viz. Puri, halwa, kheer, gram etc. With the worship of girls, the worship of batook is also important, two children should also be worshiped with the name of one ganesh ji and the nimitya of the other batook ‘, they worship three baṭukōṁ and the third swaroop is hanuman ji’s. | One-Two-three, no matter how many pieces of worship, the girl worship is incomplete without worship | *Understand the *कन्याओं as mother’s nature and wash the feet of girls with full devotion and sit in a clean place | OM KUMĀRYAI NAMAH: worship the girls with the mantra. Apply Tilak on the head of all the girls, offer red flowers, wear garland, offer chunri, and then get food. | must be sweet in food, take care of this. *After the *भोजन, do the tilak with the duly saribefore of the girls and give a gift in your hand and pray for it -**मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।** Navadurgātmikāṁ is the only one in the . **जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।**पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।** then offer him at the feet of the flower kumari and send him away. *Sāvadhāniyŏ in Virgo worship method in *नवरात्रि? Do not be less than two years and do not be more than ten years old. **एक should not worship the year or younger girls. Keep in mind in the virgo worship that no girl should be hīnāṅgī, Adhikāṅgī, blind, kāṇī, kūbaṛī, patient or evil self-RESPECT | One-Two-three, no matter how many pieces of worship, do not worship without worship. *
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