आज हम हवन कुण्ड , हवन सामग्री और लग्न समय के विषय को प्रगट कर रहा हु
वशीकरण , आकर्षण , मारण कर्म – में तिकोना कुण्ड होता है । गहराई एक हाथ ,त्रिकोणी का विस्तार व ऊँचाई पांच अंगुल बताई गई है ।
१.वशीकरण व आकर्षण कर्म में लकड़ी की लम्बाई बारह अंगुल ब मारण कर्म में आठ अंगुल मानी
२. विद्वेषण व उच्चाटन कर्म में गोल – कुण्ड होता है । गहराई एक हाथ , कटणी का विस्तार व ऊँचाई चार अंगुल बताई गई है । इसमें लकड़ी की लम्बाई आठ अंगुल मानी गई है ।
३. शान्तिकर्म , पौष्टिक कम व स्तंभन कर्म – में चौकोर कुण्ड होता है । गहराई एक हाथ , कटणी का विस्तार व ऊंचाई तीन अंगुल बताई गई है । इसमें लकड़ी की लम्बाई बारह अंगुल मानी गई है ।
तंत्र विद्या हवन सामग्रियां
शांतिकर्म – इसमें दूध , तिल , घृत , पीपल की लकड़ियाँ व आम की लकड़ी से हवन किया जाता है ।
स्तंभन कर्म – बेलपत्र , चमेली के फूल , काले तिल , चन्दन का चूरा , जी , कमलगट्टा , दही , घृत व अन्न आदि से हवन किया जाता है ।
आकर्षण कर्म – चिरोंजी और बेल पत्र का हवन किया जाता है ।
वशीकरण कर्म – राई और नमक का हवन किया जाता है ।
उच्चाटन कर्म – कौए के पंखों का हवन किया जाता है ।
मारण कर्म – लहू में मिले हुए विष का हवन किया जाता है ।
अनुष्ठान आरम्भ करने के समय लग्न
मेष धन – धान्य का देने वाला माना गया है ।
वृष साधक का विनाश करने वाला माना गया है ।
मिथुन सन्तति नाश करने वाला माना गया है ।
कर्क सर्व सिद्धि दाता माना गया है ।
सिंह बुद्धि नाशक माना गया है ।
कन्या लक्ष्मी प्रदान करने वाला माना गया है ।
तुला सर्व सिद्धिकर माना गया है ।
वृश्चिक स्वर्ण लाभ देने वाला माना गया है ।
धनु सम्मान नाश करने वाला माना गया है ।
मकर पुण्यप्रद माना गया है ।
कुंभ धन समृद्धि करने वाला माना गया है ।
मीन दुःखदायी माना गया है ।
होम करने वाला स्नान कर , नूतन वस्त्र पहन कर , शरीर व मन को शुद्ध कर फिर होम क्रिया प्रारम्भ करे । जल चन्दनादि अष्ट द्रव्यों से मंत्र जपता हुआ अग्नि की पूजा करे । फिर दूध , घृत व गुड़ सहित एक लकड़ी को अपने हाथ से होम कुण्ड में रखे , फिर अग्नि स्थापन कर पहले घृत की आहुतियाँ स्तोत्र , श्लोक पढ़ता हुआ दे । पीछे लकड़ियों को रख कर आहुति द्रव्यों को मिलाकर जाप का मंत्र बोलता हुआ आहुतियाँ दे । लकड़ियों की संख्या १०८ कही गई है । –
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