*कौनसी बीमारी किस गुण व शक्ति की कमी से होती है।और कौनसी बीमारी के लिये, कौन सी किरणे और कौनसा अभ्यास करे, जो जल्दी ठीक हो जाये*
❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆ ❆
❆ जैसे हमारे शरीर का फोटोग्राफ निकलता हैं। वैसे ही हमारे आभामंडल(ओरा) का भी फोटोग्राफ निकलता है, उसे *कलरियन फोटोग्राफी* कहते है।
❆ उसमें हमारे शरीर के सातो चक्र विविध रंगो में पाये जाते हैं।हर चक्र हमारे शरीर से संबंधित सात विभागों को आत्मिक ऊर्जा पहुँचाता है।इन सातो विभागो से सम्बन्धित, सात मुख्य ग्रंथियाँ व मुख्य मुद्रायें व आत्मा के गुण भी हैं।
जिस विभाग का, जिस चक्र का रंग हल्का हो जाता हैं या घूमने की गति कम हो जाती है या चक्र उल्टा घूमने लगता है, तो उससे संबंधित अवयवों में बीमारी शुरू हो जाती हैं l
*यदि हम परमात्मा से चक्र से संबंधित गुण व किरणे प्राप्त करते हैं, तो चक्र सुचारू रूप से कार्य करने लग जाता है और बीमारी ठीक हो जाती है*।
❆ शरीर का हर अंग आत्मा के सातों गुणों से पोषित होता है, एक गुण उस अंग के विकास व संभाल के लिए अति आवश्यक हैं।
❆ 1. *सहस्त्रार चक्र*
— पिनियल ग्रंथी और पाचन शक्ति
— *रंग* :- जामुनी
— *गुण* :- आंनद
ख़ुशी की चरमसीमा आनंद कहलाती है।
— *बीमारी* :- तनाव, नींद न आना, हाई ब्लडप्रेशर, डिप्रेशन, एसिडिटी, गैस पाचन से सम्बंधित बीमारी आदि
— *परमात्मा से संबंध* :- सिविल सर्जन
— *विजन* :- दृश्य बनाये और अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ उनसे दिव्य चमकती हुई जामुनी रंग की किरणे, आनंद के गुण सहित, मेरे सहस्त्रार चक्र में प्रवेश कर रही हैं। बाबा मुझे स्पर्श कर रहे हैं।(इसे महसूस करे) जिससे मैं आत्मा आनंद का पुंज हो चुकी हूँ l मैं आत्मा मास्टर आनंद के सागर बनती जा रही हूँ।चक्र से संबंधित अवयवो की व्याधियाँ ठीक हो चुकी है l मैं आत्मा आनंद का अनुभव कर रही हूँ।
❆ 2. *आज्ञा चक्र*
— पिट्यूटरी ग्रंथि और मष्तिक(brain) नर्वस सिस्टम
— *रंग* :- गहरा नीला
— *गुण* :- ज्ञान
— *बीमारी* :- ब्रेन संबंधित, सिरदर्द,मायग्रेन,नर्वस सिस्टम, आँख, कान,नाक, दांत-मसूड़े संबंधित l
— परमात्मा से संबंध :- सिविल सर्जन
— *विजन* :- दृश्य बनाये और अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ उनसे दिव्य चमकती हुई गहरे नीले रंग की किरणे ज्ञान के गुण सहित मेरे आज्ञा चक्र में प्रवेश कर रही हैं l बाबा मुझे स्पर्श कर रहे हैं…इसे महसूस करे।मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य बनती जा रही हूँ… जिससे चक्र से संबंधित अवयवो की व्याधियाँ ठीक हो चुकी है।बुद्धि विवेकशील व तीक्ष्ण हो चुकी हैं।
❆ 3. *विशुद्धि चक्र*
— थॉयराइड ग्रंथी और फेफड़े
— *रंग* :- आसमानी
— *गुण* :- शांति
— *बीमारी* :- श्वास के लगति बीमारी, टी .बी. न्यूमोनिया, दम, थॉयराइड संबंधित, स्वरयंत्र, अन्ननलिका, श्वासनलिका संबंधित l
— परमात्मा से संबंध- सिविल सर्जन।
— *विजन* :- दृश्य बनाये और अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ उनसे दिव्य आसमानी रंग की किरणे शांति के गुण सहित मेरे विशुद्ध चक्र में समा रही हैं l बाबा मुझे दृष्टि दे रहे हैं l मुझमे शांति समाती जा रही है। जिससे चक्र से संबंधित अवयवो की व्याधियाँ ठीक हो चुकी है।मैं असीम शांति का अनुभव कर रही हूँ।
❆ 4. *अनहद चक्र*
— थायमस ग्रंथी और हृदय
— *रंग* :- हरा
— *गुण* :- प्रेम
— *बीमारी* – हृदय संबंधित, हार्टअटॅक, हार्ड में छेड़, धड़कन बढ़ना, हाई बीपी, कोरोनरी ऑटरी डिसिज, ब्लाकेज आदिl
प्रेम का सम्बन्ध दिल से होता है। जीवन जब प्रेम की कमी आती है तो हमे हृदय समन्धी बीमारी हो सकती है।
— *परमात्मा से संबंध* :- सिविल सर्जन l
*विजन* :- दृश्य बनाये और अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ उनसे दिव्य चमकती हुई हरे रंग की किरणे प्रेम के गुण सहित मेरे अनहद चक्र में समा रही हैं l बाबा मुझे दृष्टि दे रहे हैं l जिससे चक्र से संबंधित अवयवो की बीमारियाँ ठीक हो चुकी है l मैं असीम प्रेम का अनुभव कर रही हूँ।
❆ 5. *मणिपूर चक्र*
— पँक्रियाज ग्रंथी और हॉर्मोन्स
— *रंग* :- सुनहरा पीला
— *गुण* :- सुख
— *बीमारी* :- लिवर संबंधित, डायबिटीज, हार्मोनल इमबेलेंस आदि
— *परमात्मा से संबंध* :- सिविल सर्जन
*विजन* – दृष्य बनाये एवं अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ… उनसे दिव्य सुनहरी चमकती हुई पीले रंग की किरणे सुख के गुण सहित मेरे मणिपुर चक्र में समा रही हैं।बाबा मुझे दृष्टि दे रहे हैं।मैं आत्मा मास्टर सुख का सागर के बनती जा रही हूँ।जिससे चक्र से संबंधित अवयवो की बीमारियाँ ठीक हो चुकी है l मैं असीम सुख का अनुभव कर रही हूँ।
❆ 6. *स्वादिष्टान चक्र*
— ओवरीज, टेस्टीज ग्रंथी और इम्यून सिस्टम(रोगप्रतिकारक शक्ति)
— *रंग* :- नारंगी
— *गुण* :- पवित्रता
— *बीमारी* :- इन्फेक्शन, त्वचारोग, रिप्रोडक्टीव अंग, खून संबंधित रोग।
— *परमात्मा से संबंध* :- सिविल सर्जन
*विजन* :- दृश्य बनाये और अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ। उनसे दिव्य सुनहरी चमकती हुई नारंगी रंग की किरणे, पवित्रता के गुण सहित, मेरे स्वादिष्टान चक्र में समा रही हैं।बाबा मुझे पवित्रा का ताज पहना रहे है l ध्यान से देखे l मैं संपूर्ण पवित्र हो चुकी हूँ…मुझ आत्मा में पवित्रता समाती जा रही है…जिससे चक्र से संबंधित अवयवो की बीमारियाँ ठीक हो चुकी है…मैं असीम पवित्रता का अनुभव कर रही हूँ।
❆ 7. *मूलाधार चक्र*
— अॅड्रनिल ग्रंथी और अस्ति(bone), मॉस(muscle)
— *रंग* :- लाल
— *गुण* :- शक्ति
— *बीमारी* :- हड्डी व मांस से संबंधित, कॅल्शियम कम होना, जोड़ो में दर्द, सूजन, स्नायू में दर्द, बवासिर, रहमैटाइड आर्थरायटिज, यूरिक अॅसिड बढ़ना, घुटना घिस जाना l
— *परमात्मा से संबंध* :- सिविल सर्जन
— *विजन* :- दृश्य बनाये और अनुभव करें, मैं आत्मा शिवबाबा के सम्मुख बैठी हूँ उनसे शक्ति की लाल रंग की किरणे मेरे मूलाधार चक्र में समा रही हैं l मैं आत्मा मास्टर सर्वशकिवान बनती जाती हूँ। जिससे चक्र से संबंधित प्रत्येक अवयव स्वथ्य हो रहा हैं l सारी बीमारियाँ ठीक हो चुकी है। मैं आत्मा शक्तिओं का अनुभव कर रही/रहा है।
❆ ❆ *कमेन्ट्री का अभ्यास* ❆ ❆
हम जब बाबा की सारी शक्तियों को अपने पाँच तत्वों को शरीर व मन पर केंद्रित करते है।तब शरीर की कर्मेन्द्रिया, क्रियाशील, शक्तिशाली एवं पावन बनती है।इससे शरीर के रोगो उपचार स्वतः ही होने लगता है।आपस में सहयोग होने के कारण अन्तःस्राव किरणे अपने आप निकलती है।और पाँचो तत्व पावन बनते जाते है।इसमें हम सातो रंगो की शक्ति को प्रकृति से जोड़ते है।
*अब हम इस विधि से हीलिंग राजयोग का अभ्यास करेंगे*..
❆ *आनन्द की किरणे* ❆
सबसे पहले अपने मन को बाहरी बातों से हटाकर भृकुटि के बीच में केंद्रित कीजिए और अपने को इस देह की संचालक चैतन्य बिंदु आत्मा समझिए तीन बार अपने अंदर साँस भरिए और जितना देर साँस रोक सको उतना रोकिए अब आपका तन मन काफी शिथिल हो गया है…..
मैं एक आत्मा हूँ… शिवबाबा की आनन्द की किरणों को अपने मन पर केंद्रित होते देख रही हूँ… इससे पीयूष ग्रन्थि व भावनात्मक भाव पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है…और मेरे मन में आनन्द का संचार हो रहा है…मैं आत्मा परमानन्द में मग्न होती जा रही हूँ…. मेरी अंतः स्राव प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही है…मैं ईर्ष्या, तनाव की भावना, कामवासना घृणा आदि से मुक्त होती जा रही हूँ…. अब मैं आनन्दित हो रही हूँ….
❆ *ज्ञान की किरणे* ❆
अब मैं आत्मा ज्ञान की किरणों को अपनी बुद्धि पर केंद्रित होता देख रही हूँ….अब मेरी बुद्धि दिव्य बनती जा रही है….. जिससे मुझ आत्मा में परमात्मा और सृष्टि चक्र का ज्ञान स्पष्ठ होता जा रहा है… जिससे मन बुद्धि बीज समान बनती जा रही है… जिससे मेरा मन बुद्धि और संस्कारो पर शासन करने की क्षमता मजबूत होती जा रही है …बुद्धि की याददाश्त बढ़ती जा रही है…
❆ *शान्ति की किरणे* ❆
अब मैं शान्ति की किरणों को अपने सूक्ष्म देह पर केन्द्रित होता देख रही हूँ…इससे आकाश पावन होता जा रहा है मेरे पाँचो विकार समाप्त होते जा रहे है…. मेरे अस्थमा रोग का उपचार होता जा रहा है…..थायराइड ग्रन्थि सुचारु रूप से काम कर रही है…मैं निर्बन्धन का अनुभव करती जा रही हूँ…. अब मैं सम्पूर्ण शान्ति का अनुभव करती रही हूँ…
❆ *प्रेम की किरणे* ❆
मैं आत्मा प्रेम की किरणों को अपने सूक्ष्म शरीर पर केन्द्रित होता देख रही हूँ…इससे भौतिक शरीर और प्रकृति के पाँचो तत्व पावन होते जा रहे है फलस्वरूप ह्दय वाहिका प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही है….इन प्रेम की किरणों के प्रवाह से धमनियों के अवरोध खुल रहे हैं…..और खून में प्राण वायु बढ़ती जा रही है…वायु विकार समाप्त हो रहे हैं…..प्रेम की किरणों के प्रवाह से मेरी थाईमलस ग्रन्थि सुचारू रूप से कार्य कर रही है…. मैं आत्मा निर्मोही बन रही हूँ……मोह समाप्त होता जा रहा है…..
❆ *सुख की किरणे* ❆
अब मैं आत्मा शिवबाबा की सुख की किरणों को सूक्ष्म देह पर केंद्रित होते देख रही हूँ …..इससे भौतिक शरीर व सम्पूर्ण विश्व का अग्नि तत्व पावन, सशक्त एवं क्रियाशील बनता जा रहा है……भूख, प्यास, आलस्य, थकान एवं निंद्रा पर नियंत्रण होता जा रहा है…… सुख की किरणों से पेट के अंदर की सभी प्रणालियां सुचारू रूप से क्रियान्वित हो रही हैं…..इन सुख की किरणों से आँखों की रोशनी बढ़ रही है और मधुमेह भी नियंत्रित हो रहा है…..क्योंकि इन्सुलिन का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है…..
अहा ! अब मैं आत्मा हल्कापन एवं उमंग उत्साह का अनुभव कर रही हूँ…..मेरी पैंक्रियाज ग्रंथि सुचारू रूप से कार्य कर रही है….
❆ *पवित्रता की किरणे* ❆
अब मैं आत्मा शिवबाबा की पवित्रता सम्पन्न ऊर्जा किरणों को सूक्ष्म देह पर केन्द्रित होते देख रही हूँ……जिससे भौतिक शरीर एवं विश्व का सम्पूर्ण जल तत्व शुद्ध, सशक्त एवं क्रियाशील होता जा रहा हूँ……फलस्वरूप विसर्जन प्रणाली सुचारू रूप से क्रियाशील हो रही है……साथ ही आवश्यकतानुसार खून का बहाव एवं कोशिकाओं के अंदर एवं बाहर तरल पदार्थों पर नियंत्रण होता जा रहा है….पवित्रता की किरणों से ब्रह्मचर्य की शक्ति में वृद्धि हो रही है…..तथा इसके प्रभाव से स्फूर्ति, कार्यक्षमता एवं आयु बढ़ रही है…….ये पवित्रता की किरणें कैंसर एवं एड्स के उपचार के लिए भी उपयोगी हैं…….पवित्रता की किरणों से प्रजनन ग्रंथियां सुचारू रूप से कार्य करने लगी हैं….मैं आलस्य से मुक्त होकर स्फूर्ति का अनुभव कर रही हूँ…..मेरी रोग निरोधक क्षमता बढ़ रही है….
❆ *शक्ति की किरणे* ❆
मैं आत्मा परमात्मा शिव की शक्ति सम्पन्न ऊर्जा किरणों को सूक्ष्म देह पर केंद्रित कर रही हूँ…..इन शक्ति की किरणों से देह और सम्पूर्ण विश्व का पृथ्वी तत्व पावन एवं क्रियाशील बनता जा रहा है…..फलस्वरूप पृथ्वी तत्व से निर्मित शरीर के हड्ड़ी, मांस, चर्म, नाख़ून, केश आदि अंग पुष्ट होते जा रहे हैं……पृथ्वी तत्व के पावन होने से एंड्रिलन ग्रन्थि सुचारू रूप से कार्य कर रही है जिससे इन अंगों के सभी रोग समाप्त हो रहे हैं और मैं आत्मा शक्तियों से सम्पन्न होती जा रही हूँ….
इस प्रकार नियमित योगाभ्यास से जहाँ एक ओर हमारा मन स्वच्छ होता है। दूसरी ओर हमारा तन एवं सम्पूर्ण जीवन स्वस्थ हो जाएगा।जब व्यक्ति स्वस्थ होगा, तो सारा समाज स्वस्थ हो जाएगा। अतः आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में है।
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