निल शुक्राणु का सफल हर्बल उपचार
दुर्भाग्यवश कुछ स्त्री-पुरूष उनकी वंश बेल आगे बढ़ाने वाली सन्तान से वंचित रहते हैं और बच्चे के लिए तरसते हैं। बहुत से स्त्री पुरूष सन्तान सुख के लिए बिलकुल विवेकहीन हो जाते हैं। संतान प्राप्त करने की इच्छा में निःसंतान स्त्री-पुरूष अपना धन व समय व्यर्थ में बर्बाद करते है। यह बात हम भी स्वीकार करते हैं कि सन्तान न होना एक चिन्ता का विषय है,
लेकिन इसमें कुदरत के दोष से ज्यादा स्त्री-पुरूष का शारीरिक दोष जिम्मेदार होता है।
निल शुक्राणु , शुक्राणु अल्पता, बेबी कैप्सूल, फर्टिलिटी, बांझपन का इलाज, प्रजनन क्षमताआज का विज्ञान बहुत आगे बढ गया है और अपनी खोज और अनुसंधान के बल पर परखनली शिशु का जन्म तक कर दिया है।
समझदार स्त्री-पुरूषों को चाहिए कि उन्हें सन्तान नहीं हो रही है तो अपने शारीरिक दोषों की भली-भाँति जांच कराकर दोषी अंगो की उचित चिकित्सा करा लें क्यांकि शारीरिक अंगो के दोष गंडे-ताबीजों या पीर-फकीरों द्वारा दी गयी राख से दूर नहीं होते। आज यह बात तो सबको मालूम है कि संतान का जन्म वीर्य में उत्पन्न शुक्राणुओं की शक्ति तथा दोष रहित गर्भाशय द्वारा ही होता है।
स्त्रियों में जो दोष होते हैं उनमें ज्यादातर मासिक की गड़बड़ी का होता है जो थोड़े से इलाज द्वारा पूरी तरह से ठीक हो जाता है। केवल एक प्रतिशत स्त्रियों में फैलोपियन टृयूब बन्द होने की शिकायत पाई जाती है जिसमें 50 प्रतिशत स्त्रियों का आप्रेशन होकर एक तरफ का रास्ता खुल जाता है।
जिससे गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती हैं। लेकिन पुरूषों में अधिकांश दोष पाया जाता है क्योंकि उनके वीर्य में या तो शुक्राणु बिल्कुल नहीं होते या फिर बहुत कम मात्रा में होते हैं। यदि किसी के वीर्य में शुक्राणु स्त्री के गर्भ तक नहीं पहुँच पाते तब इसमें स्त्री का कोई दोष नहीं होता।
यदि दोष होता है तो पुरूष के वीर्य का होता है जो अपनी कार गुजारियों से पहले ही पतला व बेजान बना चुके होते हैं। ध्यान रहें, शुक्राणुओं का निर्माण पुष्ट व गाढ़े तथा निर्दोष वीर्य से ही होता है और ऐसे वीर्य में ही शुक्राणु अधिक मात्रा में विकसित होकर तेजगति से चलने वाले क्रियाशील बनते हैं। पुरूष द्वारा किए गए सहवास द्वारा पहले ही प्रयास में अपनी मंजिल स्त्री के डिम्ब में जा मिलते हैं। जिसके फलस्वरूप स्त्री गर्भवती होकर स्वस्थ व सुंदर बच्चे को जन्म देती है।
निल शुक्राणुओं के सम्भावित कारण
१) वीर्य का दूषित होना
२) अंडकोष पर गरमी के कारण वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है। ज्यादा तंग अन्डर वीयर पहिनने,गरम पानी से स्नान करने, बहुत देर तक गरम पानी के टब में बैठने और मोटापा होने से शुक्राणु अल्पता हो जाती है।
३) हस्तमैथुन से बार बार वीर्य स्खलित करना
४) थौडी अवधि में कई बार स्त्री समागम करना
५) अधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना
६) ज्यादा शराब सेवन करना
७) अधिक बीडी सिगरेट पीना
८) गुप्तांग की दोषपूर्ण बनावट होना
९) शरीर में ज़िन्क तत्व की कमी होना
१०) प्रोस्टेट ग्रंथि के विकार
११) सस्ते आहार, शारीरिक गतिविधि,
१२) प्रोस्टेट रोग सहित कई यौन समस्याओं, के साथ जुड़े कारक है.
१३) नाइट्रिक ऑक्साइड की कमी है.
शुक्राणु अल्पता के मनोवैज्ञानिक कारण
१) तनाव
२) रिश्ते में अनसुलझे संघर्ष
३) यौन संघर्ष या भ्रम
४) क्रोध
५ पिछले यौन शोषण
६) मंदी
७) परिवार चिंता
८) दुःख
आयुर्वेदिक औषधियां इस प्रकार है ।
नोट: मांसाहार व तेज मिर्च मसालें का सेवन बिलकुल बंद है । तम्बाकु और शराब का सेवन करते है तो बंद कर दे
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