जलजमनी ( पाताल गरुणी )
जलजमनी बूटी एक बेल है जो बरसात के मौसम से ठीक पहले अप्रैल, मई के महीनों में उगना शुरू होजाती है. इसका दूसरा नाम शेख फरीद बूटी भी है. कुछ स्थानों पर इसे निर्बिसी भी कहा जाता है.! इसकी जड़ ज़मीन में पौधा सूख जाने के बाद बहुत दिनों तक सुरक्षित रहती है और उपयुक्त मौसम आने पर जड़ से बेल फूट निकलती है और पास के पौधों पर चढ़ जाती है !!
ये बरसात के मौसम में बहुतायत से पाई जाती है.! इसका स्वाद फीका होता है. इसका अजीब गुण ये है कि ये पानी को जमा देती है. पानी जमाने का कमाल दिखाने के लिए इसके पत्तों को एक सूती कपडे में बांध कर ढीली सी पोटली बनालें. फिर उसे पानी में डाल कर पत्तों को हाथ से मसलें जिससे पत्तों का हरा रस निकल कर पानी में मिल जाए. पत्तों को इतना रगड़ा जाए कि पानी का रंग गहरा हरा हो जाए. अब इस पानी को बर्तन में बिना हिलेडुले पंद्रह से बीस मिनट रखा रहने दें. पानी ऐसा जम जाएगा जैसे दही !!
ये बूटी खून को साफ़ करती है और गुण में ठंडी होने के कारण गर्मी से होनो वाले रोगों में लाभकारी है. पानी ज़माने के गुण के कारण ये शक्तिवर्धक के रूप में भी प्रयोग की जाती है !!
* हर एक पौधे में कोई ना कोई महत्वपूर्ण औषधीय गुण जरूर होते हैं, यहां तक कि तथाकथित रूप से जहरीले कहलाने वाले पौधे भी किसी ना किसी खास औषधीय गुण को समाहित किए होते हैं !!
* पौधों को मनुष्य ने अपनी सहुलियत के अनुसार बांट रखा है, कुछ पौधे खरपतवार की श्रेणी में रखे गए हैं तो कुछ बेवजह उखाड़ फेंक दिए जाते हैं !!
* जलजमनी भी कुछ इस तरह की एक बेल है जिसे आमतौर पर उखाड़कर फेंक दिया जाता है। इस बेल की खासियत यह हैं कि ये पानी को जैली या थक्का जैसा बना देती है !!
* जंगलों, खेत खलिहानों, खेतों की बाड़, छायादार स्थानों और घरों के इर्द-गिर्द अक्सर देखे जाने वाली इस बेल का सबसे बड़ा गुण यह होता है कि यह जल को जमा देती है, और इसी वजह से इसे जलजमनी के नाम से जाना जाता है, कई जगहों पर इसे पातालगरुड़ी के नाम से भी जाना जाता है !!
* इसके पत्ते चिकने और शीतल होते हैं . इन्हें पीसकर रात को पानी में डालें तो सवेरे पानी को जमा हुआ पाएंगे !!
* श्वेत प्रदर हो या रक्त प्रदर हो तो इसकी 5-7 ग्राम पत्तियों को पीसकर रस निकालें और एक कप पानी में मिश्री और काली मिर्च के साथ सुबह शाम लें . दो तीन दिन में ही असर दिखाई देगा !!
* Periods जल्दी आते हों , हो पेशाब में जलन हो , गर्मीजन्य बीमारी हो , स्वप्नदोष हो या फिर धातुक्षीणता हो तो इस रस को 10-15 दिन तक भी लिया जा सकता है . इसके अतिरिक्त टहनियों समेत इसे सुखाकर , कूटकर 2-2 ग्राम पावडर मिश्री मिलाकर दूध के साथ लिया जा सकता है !!
* कमजोरी हो तो , शतावर , मूसली , अश्वगंधा और जलजमनी बराबर मिलाकर एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें . नकसीर आती हो तो , दाह या जलन हो तो, इसकी पत्तियों के रस का शर्बत या सूखा पावडर एक एक ग्राम पानी के साथ लें . शीत प्रकृति के व्यक्तियों को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए !!
* सर्पदंश होने पर दंशित व्यक्ति को जल-जमनी की जड़ें (10 ग्राम) और काली मिर्च (8 ग्राम) को पानी में पीसकर रोगी को प्रत्येक 15 मिनट के अंतराल से पिलाते है। आदिवासियों का मानना है कि इस मिश्रण को देने से उल्टियां होती है और जहर का असर कम होने लगता है !!
* पत्तियों और जड़ को कुचलकार पुराने फोड़ों फुंसियों पर लगाया जाए तो आराम मिल जाता है !!
* दाद- खाज और खुजली होने पर भी इसकी पत्तियों को कुचलकर रोग ग्रस्त अंगों पर सीधे लगा दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिल जाता है। आधुनिक शोध भी इस पौधे की पत्तियों के एंटीमाईक्रोबियल गुणों को सत्यापित कर चुकी हैं !!
* जल-जमनी की पत्तियों और जड़ों को अच्छी तरह पीसकर जोड़ों के दर्द में आराम के लिये उपयोग में लाते है। माना जाता है कि जोड़ दर्द, आर्थराईटिस और अन्य तरह के दर्द निवारण के लिए यह नुस्खा काफी कारगर साबित होता है !!
* शुक्राणुओं की कमी की शिकायत वाले रोगियों को पत्तियों के काढे का सेवन की सलाह देते हैं, वैसे इस पौधे की पत्तियों के स्पर्मेटोसिस (शुक्राणुओं के बनने की प्रक्रिया) में सफल परिणामों के दावों को अनेक आधुनिक वैज्ञानिक शोधों ने भी साबित किया है !!
* मधुमेह (डायबिटिस) के रोगियों को प्रतिदिन इसकी कम से कम चार पत्तियों को सुबह शाम चबाना चाहिए, माना जाता है कि टाईप २ डायबिटिस के रोगियों के लिए ये एक कारगर हर्बल उपाय है !!
* इसकी कुछ पत्तियों को लेकर कुचल लिया जाए और इसे पानी में मिला दिया जाए तो कुछ ही देर में पानी जम जाता है अर्थात पानी एक जैली की तरह हो जाता है। आदिवासियों का मानना है कि इस मिश्रण को यदि मिश्री के दानों साथ प्रतिदिन लिया जाए तो पौरुषत्व प्राप्त होता है। आदिवासी हर्बल जानकार इसके स्वरस को सेक्स टोनिक की तरह कमजोरी से ग्रस्त पुरुषों को देते हैं। य़ही फ़ार्मुला गोनोरिया के रोगी के लिए भी बड़ा कारगर है !!
* यह कहीं भी आसानी से उगाई जा सकती है !!
!! जलजमनी के औषधीय प्रयोग !!
प्रकृति के हर कण की कोई न कोई विशेषता होती है इसीलिए हर वृक्ष या पौधा कहीं ना कहीं हमारे लिए जीवनदायी होता है ! क्योकि उसी के औषधीय गुणों की मदद से हम अपने रोगों का निवारण कर पाते है.! हाँ इनमें से कुछ वृक्ष जहरीले भी होते है किन्तु उनमें भी कुछ ऐसी खासियत होती है कि उनका भी इस्तेमाल किया जा सकता है.! हर पौधे को मनुष्य ने अपनी सहूलियत के अनुसार विभाजित किया हुआ है इसलिए कुछ पौधे खरपतवार में शामिल किये गए है तो कुछ को उच्च श्रेणी प्राप्त है, वहीँ कुछ को तो बेवजह ही उखाड़ भी दिया जाता है.!!
जलजमनी की बेल लगती है, जिसे अक्सर लोग खराब या अनुपयोगी समझ कर उखाड़ फेंकते है. इसकी एक अजीब सी खासियत है कि ये पानी को गाढा कर उसे जैली जैसा बना देती है. इन्हें अक्सर खेतों, जंगलों, खेतों की बाड़ों, घर के आसपास किसी छाया वाले स्थान पर देखा जा सकता है.!! क्योकि ये पानी को जमाने में सक्षम है इसीलिए इसका नाम जलजमनी पडा है अर्थात जल को जमा देने वाली. कुछ लोग इसे पातालगारुडी के नाम से भी जानते है वहीँ विज्ञान की भाषा में इसे कोक्युल्स हिरसुटस कहा जाता है.!!
जलजमनी के पत्ते दिखने में चिकने होते है साथ ही इनकी तासीर ठंडी होती है और अगर इन पत्तों को पीसकर उसे रात भर के लिए पानी में छोड़ दिया जाए तो ये रातभर में पानी को जमा देती है. इसके अलावा भी इसके कुछ ख़ास प्रयोग है जिनको रोगों से निजात पाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.! जलजमनी के ऐसे ही कुछ प्रयोग निम्नलिखित है ! जिन्हें हम अपने जीवन में सम्मिलित कर सकते है !!
!! जलजमनी ( पातालगरुणी ) के औषधीय प्रयोग !!
1. श्वेत प्रदर :
वे महिलायें जिन्हें श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर की समस्या है उन्हें जलजमनी की 5 से 7 ग्राम पत्तियों को लेना है और उसे पीसकर उनका रस निकालना है.! अब इस रस को 1 कप पानी में डालकर पीसी हुई मिश्री और काली मिर्च मिलाएं.! इस मिश्रण को प्रातःकाल और सांयकाल लें. 2 से 3 दिनों में ही आपको रोग में आराम का असर दिख जाएगा !!
2. माहवारी का जल्दी आना :
महिलाओं को माहवारी से अनेक समस्याएं होती रही है, कभी ये जल्दी आ जाती है तो कभी देरी से, कभी रक्त अधिक आता है तो कभी रक्त आता ही नहीं. इनके अलावा भी कुछ रोग है जो माहवारी से जुड़े होते है इन सबका एक ही उपचार है और वो है जलजमनी, इसको इस्तेमाल करने के लिए आप इसकी टहनियों को धुप में सुखा लें, फिर उन्हें पीसकर पाउडर तैयार करें. इस पाउडर को 2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ पिने से 15 दिनों में माहवारी की सभी समस्याएं दूर होती है. ये उपाय वे लोग भी कर सकते है जिन्हें, धातुक्षीणता, स्वप्नदोष इत्यादि रोग है !!
3. कमजोरी :
आजकल बच्चों के आसापस के वातावरण और खानपान की वजह से उनका विकास रुक जाता है और शरीर में कमजोरी पैदा हो जाती है, ऐसी अवस्था में उन्हें समान मात्रा में जलजमनी, अश्वगंधा, शतावर और मुसली लेनी है और उनको पीसकर उनका चूर्ण तैयार करना है. इस चूर्ण को रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में लेने से शरीर बलशाली और हष्ट पुष्ट होता है !!
4. सर्पदंश :
अगर कभी किसी को सांप काट लें तो तुरंत जलजमनी की 10 ग्राम जड़ों और 8 ग्राम काली मिर्च को पिसें और पानी के साथ रोगी को पिलायें. ये उपाय हर 15 मिनट के बाद करते रहें !! ये आदिवासियों के समय का उपाय है इसके सेवन से पीड़ित व्यक्ति को उल्टियाँ आने लगती है जिससे सांप के जहर का असर कम होता है !!
5. फोड़ें फुंसियाँ :
वहीँ अगर चेहरे पर अधिक फुंसियाँ या फोड़ें है तो आपको बस इसकी पत्तियों को घिसकर लेप तैयार करना है और उसे फुंसियों पर इस्तेमाल करना है, 1 – 2 दिनों में फुंसियों का नामों निशान तक नहीं बचता !!
6. दाद खाज :
आजकल कई रोगों में या किसी इन्फेक्शन की वजह से लोगों में दाद खाज खुजली की समस्या को भी बहुत देखा जा रहा है ऐसे में आपको जलजमनी की पत्तियों का लेप प्रभावित जगहों पर लगाना है क्योकि इसमें एंटीमईक्रोबियल नाम का तत्व पाया जाता है जो खुजली में शीघ्र आराम दिलाता है !!
7. जोड़ों का दर्द :
जोड़ों में दर्द और आर्थराईटिस की समस्या से परेशान लोगों को दर्द से निजात पाने के लिए जलजमनी की पत्तियों और इसकी जड़ को पानी की मदद से पीसकर जोड़ों पर लगाने से राहत मिलती है !!
8. शुक्राणुओं की कमी :
अगर शरीर में शुक्राणुओं की कमी है तो रोगी इस्सकी पत्तियों से काढा बनाएं और रोजाना इसका सेवन करें. इसकी पत्तियों में स्पर्मेटोसिस अर्थात शुक्राणु बनाने की अदभुत शक्ति पायी गयी है !!
10. मधुमेह :
मधुमेह भी आधुनिक युग की ही दी हुई ऐसी बिमारी है जिसके शिकार हर घर में मिल जाते है. इन रोगियों को दिन में 4 से 5 जलजमनी की पत्तियों का सेवन करना चाहियें. ये टाइप – 2 डायबिटीज के पेशेंट्स के लिए लाभदायी प्राकृतिक हर्बल उपचार है !!
11. पौरुषत्व बढाये :
इसकी पत्तियों को रात भर पानी में डालकर रखें ताकि ये पानी को जमाकर उसे जैली में बदल दें. आदिवासियों की मान्यता के अनुसार अगर इस पानी को रोजाना मिश्री मिलाकर पिया जाएँ तो ये पौरुषत्व को बढ़ा देती है. इसीलिए इसे हर्बल पौरुष शक्तिवर्धक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है !!
12. नकसीर :
नकसीर आने पर या जलन होने पर इसकी पत्तियों से शरबत बनाकर उसका सेवन करें. अगर शरबत बनाने में कोई आपत्ति हो तो आप इसकी पातियों का 1 ग्राम पाउडर पानी के साथ लें. क्योकि इसकी तासीर शीतल होती है इसलिए ये मन और शरीर दोनों को शीतलता देता है !!
Add Comment